Sunday, June 4, 2023
HomeTop Storiesजानिए कैसा रहा है ब्रिटेन में शाही अंतिम संस्कार का इतिहास? इस...

जानिए कैसा रहा है ब्रिटेन में शाही अंतिम संस्कार का इतिहास? इस बार क्या होगा अलग— News Online (www.googlecrack.com)

आरंभिक अंतिम संस्कार

18वीं शताब्दी के बाद से सभी ब्रिटिश शासकों को विंडसर में दफनाया जाता है. एक लंबी अवधि तक विंडसर पैलेस के भीतर ही अंतिम संस्कार समारोह हुए, लेकिन वर्ष 1901 में 63 वर्षों के लंबे शासन के बाद महारानी विक्टोरिया के निधन के साथ परिवर्तन शुरू हुए, ताकि राजशाही को और अधिक सार्वजनिक किया जा सके. ऐसा शाही परिवार के प्रति अधिक लोकप्रियता को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था, क्योंकि समाज अधिक लोकतांत्रिक होता जा रहा था.

महारानी विक्टोरिया के अंतिम संस्कार के दिन राष्ट्रीय शोक का दिन घोषित किया गया है और इस दिन सभी काम बंद रहेंगे.महारानी विक्टोरिया का निधन आइल ऑफ वाइट में उनके घर हुआ था. इसके बाद उनके ताबूत को विंडसर तक ले जाने के दौरान लंदन भर में एक लंबा और धीमा जुलूस निकाला गया, जिसमें लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. बाद के शासकों के निधन पर भी सार्वजनिक जुलूस उनकी अंत्येष्टि का अहम हिस्सा रहे.

एक सार्वजनिक मामला विक्टोरिया के उत्तराधिकारियों के निधन के बाद अंतिम संस्कार में जनता को शामिल करने के लिए और उपाय किए गए. वर्ष 1910 में लंदन में एडवर्ड सप्तम का निधन हुआ, तो राज्य में उनके ताबूत को वेस्टमिंस्टर हॉल में सार्वजनिक रूप से रखने की शुरुआत हुई. उनके बेटे, जॉर्ज पंचम, ने जोर देकर कहा कि पहुंच ‘लोकतांत्रिक’ होनी चाहिए और 3,00,000 लोगों ने ताबूत के पीछे जुलूस में शामिल होकर श्रद्धांजलि दी.

वर्ष 1936 में जॉर्ज पंचम के अंतिम संस्कार पर शोक दिवस को आर्थिक गिरावट के कारण दो मिनट के राष्ट्रीय मौन में तब्दील कर दिया गया था.द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रमुख चेहरा बनकर उभरे महाराजा जॉर्ज छठे का निधन वर्ष 1952 में हुआ, तो उनके अंतिम संस्कार में दो नई चीजें शामिल की गईं.

विंडसर में महाराजा जॉर्ज-छठे के अंतिम संस्कार के अवसर पर सेंट पॉल कैथेड्रल में एक विशेष स्मरण सेवा आयोजित की गई, जिसमें सरकार, संसद और अन्य राष्ट्रीय नेताओं के सदस्य शामिल हुए. लंदन में स्मरण सेवा और अंतिम संस्कार के जुलूस का टेलीविजन और रेडियो पर प्रसारण किया गया. पहली बार शाही अंतिम संस्कार का इस तरह प्रसारण किया गया.

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार वर्ष 1901 के बाद से शाही अंतिम संस्कार के कई पहलू 2022 की व्यवस्थाओं के अभिन्न अंग रहे, लेकिन कुछ नए तत्व भी हैं. इनमें से कुछ विशेषताएं टेलीविजन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रगति की देन हैं. इसके अलावा कुछ विशेषताओं का संबंध इस बात से है कि महारानी विक्टोरिया की तुलना में महारानी एलिजाबेथ को अधिक लंबे शासन के लिए श्रद्धांजलि दी जा रही है.

महारानी के अंतिम संस्कार से पहले रविवार की शाम अब एक मिनट का मौन रहेगा और साथ ही अंतिम संस्कार के दिन भी दो मिनट का मौन रखा जाएगा. राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने का चलन फिर से शुरू होने से सार्वजनिक भागीदारी भी बढ़ेगी. इससे जहां बड़ी संख्या में दर्शक टेलीविजन पर अंतिम संस्कार समारोह को देख सकेंगे, वहीं लंदन में निकाले जाने वाले जुलूस मार्ग में लोग बड़ी संख्या में एकत्र होंगे.

ये भी पढ़ें :

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments